
इंसान का जिस्म क्या है ?
जिस पर इतराता है जहां ,
बस एक मिट्टी की इमारत ,
एक मिट्टी का मकां ,
खून तो गारा है इसमें
और ईंटे है हड्डियां ,
चंद सांसों पर खड़ा है ,
यह ख्याली आसमां ,
मौत की पुरजो़र आंधी
इससे जब टकराएगी ,
जितनी भी महंगी हो ये इमारत
टूटकर बिखर जाएगी ।

सत प्रतिशत सत्य कहा है दीदी
किसी ने बहुत सही कहा था “जाते ही शमशान में, मिट गयी सब लकीर पास पास ही जल रहे थे, राजा और फ़क़ीर”
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Bilkul sahi……
Thankyou for liking 💐💐🌈🎉
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Kya khub explain kiya he ❤️
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Thanks dear 🥰
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Haqiqat se waqif kara dia
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🙏🙏
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बहुत खुब
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🙏🙏🤗🤗🙏🙏
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जी, अटल सत्य
गहन भाव से परिपूर्ण उत्कृष्ट लेखन आपका 🙏
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🙏🙏😊😊
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The reality we must face.
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👍
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