
बेगानी धरती पर ,
बेगाने देश में रहना आसां नहीं ,
पर यह दर्द किसी को दिखता नहीं ,
दिखता है तो आधुनिक जीवन ,
लुभाती है उनकी मोटी इनकम ,
हंसते मुस्कुराते चहरों का दर्द देखा है मैंने ,
परिजनों से दूर दुख – दर्द अकेले पड़ते हैं सहने ,
हर तीज त्योहार में अपनों की याद अकसर आ ही जाती है ,
वीडियो कॉल में वो आलिंगन की गरमजोशी कहां मिल पाती है ,
यूं तो सुविधाएं बहुत सी हैं वहां ,
माता-पिता का साथ तो छूट गया यहां ,
आशीष चाहे उनका हर पल साथ रहता है ,
पर उनकी गोद में सिर रखने को मन बार-बार कहता है ,
भारत में रहने वालों को लगती बाहरी देशों की जिंदगी आसान ,
पर घर चलाने की जद्दोज़हद वहां भी है घमासान ,
सारा काम खुद से ही करना पड़ता है ,
जाने कितनी बार खुद से लड़ना पड़ता है ,
दुख बीमारी में खुद का ध्यान खुद ही रखना पड़ता है ,
मशीन की तरह हर वक्त चलना पड़ता है ,
नहीं मिलती किसी से सांत्वना ना ही प्रोत्साहन ,
खुद ही देते होंगे मन को आश्वासन ,
सोचते होंगे कभी कमजोर पलों में ,
ठाठ से रहते थे अपने घरों में ,
चले तो आए यहां सपनों की उड़ान भरने ,
परिवार के सपनों को साकार करने ,
पर न तो यह हवा अपनी है ,
ना ही यह धरा अपनी है ,
जी रहे हैं बस जीने को ,
N R I का फ़र्ज़ निभाने को ।

रितु जी आपने बहुत ही खूबसूरत शव्दों के संयोजन से यथार्थ को अभिव्यक्त किया है, पढ़ कर ऐसा लगा कि मानो मेरे ही भावों को
आपने अपनी लेखनी मैं उतार दिया हो,
यह दर्द ना केवल NRI लोगों का है वरन
भारत में ही अपने गृह राज्य से दूर अलग-अलग राज्यों में रहने वालों का भी है ,बहुत सुंदर व सच को दर्शाती हुई रचना 👌🏼👏👏😊
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आपका दिल से आभार 🙏🙏💖💖
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True
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🤗😊🤗
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NRI, known as NRN in our country are usually treated with so much difference.
Just because they live some other place doesn’t make them an outsider. They love and care for their nation as much as the residents of that nation! It hurts to see them being treated that way!
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👍
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❤️
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बहुत सुंदर।👌👌💐
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खूब खूब आभार 🙏🙏
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