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” दिमाग “

दिमाग….

शरीर रूपी मशीन का एक अहम पुर्जा़ ,
जो भरता है अंग – प्रत्यंग में ऊर्जा ।
बैठाता सभी अंगो का आपस में तालमेल ,
पर दिल सदा ही खेल बैठता है इससे खेल ।
दिमाग विचार – शक्ति को बनाता है मजबूत ,
दिल हो जाता है भावनाओं के वशीभूत ।
ना जाने दिल से अलग दिमाग के रस्ते क्यों हैं ,
दिमाग ही तो बताता है कि आज के रिश्ते सस्ते क्यों है ।
यही तो देता है सही मार्गदर्शन ,
दिल बीच में घुसकर बढ़ा देता है उलझन ।
चलो इन सभी उलझनों को सुलझाते हैं ,
दिल और दिमाग की जंग में दिमाग को जिताते हैं ,

क्योंकि ,

दुनिया में दिल की बात कोई सुनता नहीं है ,
प्यार के बंधन अब कोई बुनता नहीं है ।
हम जैसे चंद लोग दिल लगाकर दगा़ खा जाते हैं ,
उन्हीं लोगों के दिमाग हमारे दिल को चबा जाते हैं ।

इसलिए दोस्तों ,

दिमाग की हर बात को
दिल से अपना लेना चाहिए ,
जो जिस भाषा में समझे
उसे उसी भाषा में जवाब देना चाहिए ।

Published by Beingcreative

A homemaker exploring herself!!

5 thoughts on “” दिमाग “

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