
दिमाग….
शरीर रूपी मशीन का एक अहम पुर्जा़ ,
जो भरता है अंग – प्रत्यंग में ऊर्जा ।
बैठाता सभी अंगो का आपस में तालमेल ,
पर दिल सदा ही खेल बैठता है इससे खेल ।
दिमाग विचार – शक्ति को बनाता है मजबूत ,
दिल हो जाता है भावनाओं के वशीभूत ।
ना जाने दिल से अलग दिमाग के रस्ते क्यों हैं ,
दिमाग ही तो बताता है कि आज के रिश्ते सस्ते क्यों है ।
यही तो देता है सही मार्गदर्शन ,
दिल बीच में घुसकर बढ़ा देता है उलझन ।
चलो इन सभी उलझनों को सुलझाते हैं ,
दिल और दिमाग की जंग में दिमाग को जिताते हैं ,
क्योंकि ,
दुनिया में दिल की बात कोई सुनता नहीं है ,
प्यार के बंधन अब कोई बुनता नहीं है ।
हम जैसे चंद लोग दिल लगाकर दगा़ खा जाते हैं ,
उन्हीं लोगों के दिमाग हमारे दिल को चबा जाते हैं ।
इसलिए दोस्तों ,
दिमाग की हर बात को
दिल से अपना लेना चाहिए ,
जो जिस भाषा में समझे
उसे उसी भाषा में जवाब देना चाहिए ।

वाॅह काबीले तारीफ,सही लिखा दिमाग वाले हम जैसे दिलवाले से दिल लगा कर दिमाग ही खाते है तभी हम जैसे दिलवाले धोखे की जींदगी बिताते है।
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🙏🙏खूब कहा आपने 👌
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धन्यवाद जी
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Bahut hi khubsurat likha hai aapne.
https://thesocialtalks.com/news-analysis/trapped-migrant-exploitation-under-kafala-system/
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खूब आभार 🙏
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