” लाचारी “

चहुं ओर हाहाकार देख

मस्तिष्क में विचार ही नहीं आते ,

कुछ पंक्तियां लिखने को

उठे हाथ हैं कंपकंपाते ,

ओक्सीजन और हस्पताल की चीख-पुकार से ,

अंदर ही अंदर सब सहम जाते

डाक्टर की लाचारी देख

दिल के सैंकड़ों टुकड़े हो जाते,

बस…..

उम्मीद से भरी आंखें देख

हौंसले का हाथ ही बढ़ा पाते ,

शून्य में तकते नयन

अविरल अश्रु हैं बहाते ।।

Published by Beingcreative

A homemaker exploring herself!!

14 thoughts on “” लाचारी “

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