चहुं ओर हाहाकार देख मस्तिष्क में विचार ही नहीं आते , कुछ पंक्तियां लिखने को उठे हाथ हैं कंपकंपाते , ओक्सीजन और हस्पताल की चीख-पुकार से , अंदर ही अंदर सब सहम जाते डाक्टर की लाचारी देख दिल के सैंकड़ों टुकड़े हो जाते, बस….. उम्मीद से भरी आंखें देख हौंसले का हाथ ही बढ़ा पातेContinue reading “” लाचारी “”
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” आंसू “
खारे खारे से आंसू ,एक सशक्त सहारे आंसू ,काश तुम बोल पाते ,मन की गिरह खोल पाते ,यूं तो अविरल बहते जाते हो ,हर सुख – दुख में साथ निभाते हो ,किसी पर हुए अन्याय को सह ना पाते हो ,मन के कृंदन को तुम्ही तो दर्शाते हो ,पर कुछ कह क्यों ना पाते होContinue reading “” आंसू “”